नई दिल्ली. ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर एएसआई की रिपोर्ट से पता चला है कि 17 वीं शताब्दी में पहले मौजूद संरचना को नष्ट करके इसके कुछ हिस्से पर मजिस्द का निर्माण किया गया था. एएसआई रिपोर्ट के आधार पर कहा जा रहा है कि वहां मौजूदा मजिस्द से पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था. एक कमरे के अंदर मिले अरबी-फारसी शिलालेख में उल्लेख है कि मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के 20वें शासनकाल (1676-77 ई.) में हुआ था. पहले से मौजूद संरचना को 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान नष्ट कर दिया गया था. ASI ने जदुनाथ सरकार ने भरोसा जताया है कि 2 सितंबर 1669 को मंदिर ढहा दिया गया था. 17वीं शताब्दी में मंदिर तोड़ा गया था, फिर उसे मस्जिद बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया.
किए गए वैज्ञानिक अध्ययन, सर्वेक्षण, वास्तुशिल्प अवशेषों, उजागर विशेषताओं और कलाकृतियों, शिलालेखों, कला और मूर्तियों के अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले एक हिंदू मंदिर मौजूद था. एएसआई रिपोर्ट में इस बात के सबूत सामने आये है कि यहां मस्जिद से पहले हिंदू मंदिर का स्ट्रक्चर था. ऐसे में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन का कहना है कि अब सील वजूखाना की एएसआई सर्वे की मांग सुप्रीम कोर्ट से करेंगे.
सर्वे में 32 ऐसे जगह प्रमाण मिले हैं, जो बताते हैं कि वहां पहले हिंदू मंदिर था. देवनागरी, ग्रंथा, तेलुगु, कन्नड़ में लिखे पुरालेख मिले हैं. जनार्दन, रुद्र और विश्वेश्वर के बारे में पुरालेख मिले हैं. एक जगह महामुक्ति मंडप लिखा है, जो ASI के मुताबिक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है. मंदिर ढहाए जाने के बाद उसके स्तंभों का इस्तेमाल मस्जिद बनाने में किया गया.तहखाना S2 में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां थी. तहखाने में मिट्टी के अंदर दबी ऐसी आकृतियां मिलीं जो उकेरी हुई थी.
Source : palpalindia
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