नई दिल्ली. टाटा संस के चेयरमैन पद से अचानक साइरस मिस्त्री को हटाए जाने के बाद मिस्त्री और टाटा संस के बीच शुरू हुई लड़ाई का आज सुप्रीम कोर्ट में अंत हो गया. सुप्रीम कोर्ट ने टाटा संस के हक में फैसला सुनाया. इस तरह 100 अरब डॉलर वालू इस समूह ने सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई जीत ली है. साइरस मिस्त्री ने टाटा संस के पद से अचानक हटाए जाने के खिलाफ कानूनी लड़ाई का सहारा लिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को टाटा संस के हक में फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलएटी के उस फैसले को भी रद्द कर दिया, जिसमें साइरस मिस्त्री को दोबारा टाटा संस का चेयरपर्सन बनाने का आदेश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने एसपी ग्रुप और साइरस इनवेस्टमेंट्स द्वारा दायर सभी याचिकाओं को भी रद्द कर दिया.
भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने एनसीएलएटी के आदेश को रद्द करते हुए टाटा ग्रुप की सभी याचिकाओं को स्वीकार्य किया और मिस्त्री ग्रुप की सभी याचिकाओं को रद्द कर दिया. मिस्त्री ने टाटा संस के प्रबंधन में अनियमितताओं का आरोप लगाया था. उल्लेखनीय है कि टाटा संस में मिस्त्री परिवार सबसे बड़ा शेयरधारक है. इसके पास 18.47 प्रतिशत हिस्सेदारी है. मिस्त्री परिवार ने टाटा संस से अपने रिश्ते खत्म करने के लिए अपनी हिस्सेदारी बेचने की भी योजना बनाई है.
सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलएटी के 18 दिसम्बर 2019 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें सायरस मिस्त्री को टाटा समूह का दोबारा कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने का आदेश दिया गया था. शपूरजी पलोनजी गु्रप ने 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि अक्टूबर 2016 को बोर्ड मीटिंग में साइरस मिस्त्री को टाटा संस के पद से हटाने का फैसला एक खूनी खेल और आघात के समान था और इस प्रक्रिया में कॉरपोरेट प्रक्रिया और सिद्धांतों का व्यापक उल्लंघन किया गया था.
दूसरी ओर टाटा ग्रुप ने अपने जवाब में मिस्त्री के सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा था कि ग्रुप द्वारा कोई गलत काम नहीं किया गया है और बोर्ड के पास मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने का पूर्ण अधिकार है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-परमबीर सिंह की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, महाराष्ट्र में सियासी तनाव जारी
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