राजस्थान की एक मांग तो सफल हुई- हमें तो रेल मंत्री चाहिए!

राजस्थान की एक मांग तो सफल हुई- हमें तो रेल मंत्री चाहिए!

प्रेषित समय :21:30:06 PM / Sat, Jul 10th, 2021

प्रदीप द्विवेदी. किसी भी क्षेत्र में रेल की मांग तो आपने सुनी होगी लेकिन राजस्थान की लंबे समय से एक मांग रही है... हमें तो रेल मंत्री चाहिए!

इस मांग की वजह एकदम साफ है कि घुटने तो पेट की ओर ही आते हैं, के अंदाज में आजादी के बाद देश में रेलवे का विकास उन राज्यों में प्रभावी तरीके से हुआ जहां-जहां के रेल मंत्री बनेे?

राजस्थान का केन्द्र में वैसे भी कोई खास राजनीतिक दबदबा तो रहा नहीं है और इसीलिए रेलवे नेटवर्क के मामले में भी राजस्थान की हालत एकदम खराब है. इसमें भी रेलवे नेटवर्क के मामले में दक्षिण राजस्थान की स्थिति तो एकदम शर्मनाक है? बांसवाड़ा जिले में तो एक इंच जमीन पर भी रेल की पटरी नहीं है!

यहां तक कि तीन राज्यों की तकदीर बदलने वाली रतलाम-बांसवाड़ा-डंूगरपुर-अहमदाबाद रेल लाईन की मांग को वर्षों तक नजरअंदाज किया गया और जब स्वीकृत हुई तो औपचारिक शुरूआत के बाद प्रदेश की सरकार बदलते ही योजना ठंडे बस्ते में पटक दी गई. मध्यप्रदेश में बड़ा रेलवे जंक्शन रतलाम और गुजरात में बड़ा रेलवे जंक्शन अहमदाबाद है... देश के ये बड़े दोनों रेलवे जंक्शन रतलाम-बांसवाड़ा-डंूगरपुर-अहमदाबाद रेल लाईन से सीधे जुड़ जाएं तो तीनों राज्यों की तस्वीर और तकदीर बदल सकती है लेकिन न तो इस दृष्टि से केन्द्र में बैठे सक्षम नेताओं ने सोचा और न ही राजस्थान के नेता इस मामले में अब तक कुछ खास कर पाए हैं.

रतलाम और अहमदाबाद के बीच का बांसवाड़ा-डंूगरपुर का क्षेत्र कृषि की दृष्टि से ठीक वैसा ही क्षेत्र है जैसा नई दिल्ली और चंडीगढ़ के बीच हरियाणा! यहां खूब पानी उपलब्ध है, उपजाऊ जमीन है और लोग मेहनती भी हैं लेकिन वर्किंग कैपिटल की कमी और गरीबी के कारण आगे नहीं आ पा रहे हैं... इस पर सरकार की बेशर्म उदासीनता न तो इस क्षेत्र के लोगों का भला होने दे रही है और न ही यहां की कृषि क्षमताओं का लाभ देशवासियों को लेने दे रही है.

यहां की माही परियोजना ने साबित किया है कि इस क्षेत्र में विकास की काफी संभावनाएं हैं... इस परियोजना की बदौलत खेती को तो बढ़ावा मिला ही है, बिजली उत्पादन के क्षेत्र में भी इस क्षेत्र ने झंडे गाड़े हैं... शान के लिए यहां सोने की उपलब्धता, थर्मल पावर प्लांट, रतलाम-बांसवाड़ा-डंूगरपुर रेलवे लाईन जैसी खबरें अक्सर आती रही हैं, लेकिन हकीकत में इस दिशा में धेलेभर का भी काम नहीं हुआ है.

विश्व विख्यात शक्तिपीठ त्रिपुरा सुंदरी में हर साल सैकड़ों नेता और अधिकारी सरकारी सुविधाओं के दम पर मनोकामनाएं लेकर मत्था टेकने आ जाते हैं, लेकिन रेलवे और हवाई सेवा उपलब्ध नहीं होने के कारण देश के अनेक लोग यहां आ ही नहीं पाते हैं.

याद रहे, देवी त्रिपुरा सुंदरी पर राजनेताओं की खासी श्रद्धा है और अनेक मुख्यमंत्री-मंत्री यहां मनोकामनाएं लेकर पूजा-अर्चना के लिए आते रहे हैं.

खैर, राजस्थान को पहले रेल मंत्री मिले हैं- अश्विनी वैष्णव!

हालांकि, वे राजस्थान के लिए कितना कर पाएंगे, यह तो समय बताएगा, किन्तु उम्मीद रखने में क्या बुराई है?

अभी जो सर्वे आया है, उसमें सवाल था कि- रेलवे जैसे महत्वपूर्ण विभाग की कमान अश्विनी वैष्णव को सौंपी गई है, पूर्व आईएएस को यह कमान सौंपकर क्या रेलवे में बड़े सुधार की उम्मीद की जा सकती है?

सवाल के जवाब में 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि नौकरशाह बदलाव ले ही आएंगे, यह बिल्कुल जरूरी नहीं है, जबकि 42 प्रतिशत को इसकी पूरी उम्मीद है.

याद रहे, अश्विनी पहले राजस्थानी हैं जिन्हें रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है, इससे पहले कभी सीपी जोशी के पास रेलवे का अतिरिक्त कार्यभार था!
https://twitter.com/AshwiniVaishnaw

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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