चंडीगढ़. खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल ने एक इंटरव्यू में केंद्र और पंजाब की राजनीति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उसे भारत और पंजाब सरकार पर भरोसा ही नहीं है. दरअसल हाल ही में दिए एक साक्षात्कार में उनसे पूछा गया कि क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि आप राजनीतिक प्रक्रिया अपनाकर चुनाव लड़ें? क्या आपको भारत सरकार और पंजाब की सरकार पर भरोसा नहीं है?
इसके जवाब में उसने कहा कि हमें भरोसा नहीं है. यही नहीं उसने इस 12 मिनट के इंटरव्यू में पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार पर भी कई निशाने साधे हैं. अमृतपाल ने लोगों में पैदा हुए भय के लिए पुलिस और सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. भारत और पंजाब सरकार पर भरोसा नहीं करने का उसने तर्क दिया कि भारत की चुनावी प्रक्रिया ऐसी स्थिति में चली गई है, जहां ये एक फिक्स स्ट्रक्चर है. उसने ये भी कहा कि अगर आप इसके अंदर जाना चाहते हैं या कामयाबी चाहते हैं, तो आपको समझौता करना होगा. अमृतपाल ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री के पास कोई शक्ति नहीं है. केंद्र सरकार का इतना दखल है कि पंजाब में वह कुछ कर नहीं सकते हैं. पंजाब के पास अपना पानी है, पर वह उस पर कोई फैसला नहीं कर सकते. पंजाब के अधिकारों पर कोई फैसला करने की स्थिति में नहीं होता. अगर वे करते हैं तो उन्हें चुनौती दी जाती है. तब ये कहना कि मैं चुनाव में जाऊं और ये करूं, ये एक बड़ी नाकामी होती है.
पंजाब में आज के माहौल को लेकर लोगों में पनपे डर को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में अमृतपाल ने कहा कि मैं तो इसका समाधान निकालने में ही लगा हूं. समाज में डर का माहौल क्यों बनाया गया. वह तो हिंसा से बनाया गया ना. सरकार की हिंसा ने डर की स्थिति बना दी. नहीं तो आजादी की बात करना, संप्रभुता की बात करना, खुद मुख्तारी की बात करना, कहां से डर की वजह बनती. अमृतपाल ने कहा कि सरकार ने ऐसा माहौल बनाया है. पुलिस से लोगों को डर लगने लगा है. हमें इसका समाधान करना चाहिए. आम लोगों में ये बात चल रही है कि पुलिस को मानवाधिकारों की कोई परवाह नहीं है. हमारे सिख जो सजा पूरी कर चुके हैं, वो बाहर नहीं आ रहे हैं. नए सिखों को अंदर डाला जा रहा है.
जब अमृतपाल से पूछा गया कि आम आदमी पार्टी की नई सरकार क्यों कुछ नहीं कर रही है और पंजाब में बेरोजगारी की क्या स्थिति है? तो उसने कहा कि सीएम भगवंत मान की खाली हुई सांसद की सीट पर वे चुनाव हार गए. एक खालिस्तानी समर्थक सांसद ने उन्हें हराया. अमृतपाल ने कहा कि आप देखें कि पंजाब में राजनीतिक हालात क्या हैं. जो पार्टी इतना बहुमत लेकर आती है, इसका मतलब ये नहीं है कि लोगों ने इनको समर्थन दिया. इसका मतलब था कि जो सभी राजनीतिक पार्टियां थीं, उन्हें खारिज कर दिया गया. उनके अप्रासंगकि होने की वजह से उन्हें जगह मिल गई. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इनमें क्षमता है. दो-तीन महीने में इनकी ये स्थिति हो गई कि ये अपनी सीट नहीं बचा सके.
इसके पीछे कारण बताते हुए अमृतपाल ने कहा कि पंजाब में अशांति और राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है. युवाओं को पहले आप पांच साल के लिए इंगेज कर पाते थे. नई पार्टी आती थी तो दो तीन साल तो उनका हनीमून पीरियड रहता था. आखिर में वे वादे करते थे. अब स्थिति ये है कि अगर आप एक-दो महीने में नतीजे नहीं देते, तो आपको खारिज कर दिया जाएगा. आज सरकार के खिलाफ लोगों के मन में इतना गुस्सा है, वह भी तब जब इस सरकार को एक साल नहीं हुआ.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पंजाब में अगर आप की सरकार हालात को नहीं संभाल पाती है तो केंद्र को संभालना पड़ेगा: अमरिंदर सिंह
पंजाब में सब ओर शांति है, कानून और व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण में है: भगवंत मान
पंजाब में खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह के समर्थक हुए हिंसक, पथराव में 6 पुलिसकर्मी घायल
पंजाब के दो पादरियों के ठिकानों से आयकर विभाग ने बरामद की करोड़ों की नकदी, ग्रामीणों से ठगी का आरोप
Leave a Reply