भारत हमेशा से ही हिंद प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित साझी व्यवस्था में विश्वास करता आया है: जयशंकर

भारत हमेशा से ही हिंद प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित साझी व्यवस्था में विश्वास करता आया है: जयशंकर

प्रेषित समय :19:11:15 PM / Fri, Oct 29th, 2021

नई दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि अगर हिंद प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा, शांति और सभी के हित के बारे में सोचना है तो बातचीत से ही विवादों को निपटाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से ही हिंद प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित साझी व्यवस्था में विश्वास करता आया है. सभी देशों को एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए. बता दें कि जयशंकर का यह बयान ऐसे समय में आया है, जबकि क्षेत्र में चीन की सैन्य आक्रामकता को लेकर दुनिया के कई देश चिंता जता चुके हैं.

चौथे हिंद प्रशांत कारोबारी मंच की बैठक में जयशंकर ने कहा कि भारत, हिंद प्रशांत को एक मुक्त, खुले और समावेशी क्षेत्र के रूप में देखता है, जो प्रगति और समृद्धि के साझे प्रयास में सभी को साथ लेता है. उन्होंने कहा कि इसमें इस भौगोलिक क्षेत्र के सभी देश शामिल हैं, जिनके इसमें हित जुड़े हैं. जयशंकर ने कहा कि भारत हिंद प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा ओर सभी की समृद्धि के लिए बातचीत के जरिए एक ऐसी नियम आधारित साझी व्यवस्था में विश्वास करता है, जो सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करती हो. उन्होंने कहा कि इसके तहत देशों को समुद्र और हवा में साझे क्षेत्र के उपयोग की पहुंच सुगम हो, जिसमें नौवहन एवं उड़ान संबंधी स्वतंत्रता, निर्बाध वाणिज्य हो और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत विवादों का शांतिपूर्ण ढंग से निपटारा हो सके.

विदेश मंत्री के इस बयान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि दक्षिण चीन सागर में चीन का कई देशों के साथ क्षेत्रीय विवाद है. जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत इस क्षेत्र में निष्पक्ष, मुक्त, संतुलित, कानून आधारित एवं स्थिर अंतरराष्ट्रीय कारोबार की व्यवस्था की वकालत करता है और भारत का रुख सहयोग एवं गठजोड़ पर आधारित है. उन्होंने कहा कि जब हम साझे हितों और साझे प्रयासों की बात करते हैं तो यह स्वाभाविक है कि यह अन्य माध्यमों से, कारोबारी मंचों से भी हो.

जयशंकर ने कहा कि हमारी रणनीतिक साझेदारी 21वीं सदी में बहुपक्षवाद को मजबूत करने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के भविष्य के लिए और भी अधिक प्रासंगिक है. भारत फ्रांस को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी शांति और स्थिरता के लिए अपरिहार्य शक्ति और क्षेत्र में भारत के लिए प्रमुख भागीदार के रूप में देखता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

अब काजी ने वानखेड़े का निकाह कराने की बात मानी, नवाब मलिक ने निकाहनामा जारी किया, एनसीबी विजिलेंस टीम दिल्ली से मुंबई पहुंची

इलाज के लिए दिल्ली और चेन्नई में स्थापित होंगे कंटेनर, आपात स्थिति में किया जा सकेगा शिफ्ट: मांडविया

आगरा पहुंचे राकेश टिकैत, बोले- दिल्ली धरना स्थल पर मनेगी किसानों की दीपावली

दिल्ली के ओल्ड सीमापुरी में एक घर में लगी भीषण आग, घटना में चार लोगों की मौत

दिल्ली यूनिवर्सिटी में अब तक 52,000 से अधिक छात्रों ने लिया एडमिशन

दिल्ली में प्रदूषण, पड़ोसी राज्यों के पराली जलाने से बढ़ा है: सीएम केजरीवाल

Leave a Reply