आम चुनाव 2019? अच्छे दिन वाला कि अच्छे दिल वाला पीएम होगा?

लगता है, राहुल गांधी के राजनीति में अच्छे दिन आ गए हैं? कम-से-कम भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के सहयोगी रहे सुधीन्द्र कुलकर्णी के राहुल गांधी पर भरोसे को देख कर तो यही लगता है.
यही नहीं, शायद बाबा रामदेव को भी राहुल गांधी का अच्छा भविष्य नजर आने लगा है, तभी तो वह कह रहे हैं- राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मेरे दोस्ताना रिश्ते हैं. 
वैसे, कांग्रेसी तो राहुल गांधी के समर्थक हैं ही, लेकिन कांग्रेस में भी शीला दीक्षित जैसे नेता, जिनकी कभी राहुल गांधी लेकर अलग राय थी, का यह कहना कि... राहुल एक सक्षम नेता के तौर पर उभरे हैं, कामयाबी के किसी प्रमाण-पत्र से कम नहीं है? 
सुधीन्द्र कुलकर्णी का कहना था कि... भारत को एक ऐसे नेता की जरूरत है जो कश्मीर मुद्दे जैसी बड़ी समस्याओं का समाधान कर सके और इसलिए भविष्य में वह कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहेंगे.
समाचार संदर्भानुसार... पाकिस्तान और चीन के साथ विवादों को गिनाते हुए सुधीन्द्र कुलकर्णी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बड़ी समस्याओं का समाधान करने में विफल साबित हुए हैं. 
मुंबई में एक पैनल चर्चा में कुलकर्णी ने राहुल की तारीफ करते हुए कहा कि वे... अच्छे दिल वाले नेता हैं.
राहुल गांधी को लेकर इनकी बदलती राय क्या आमजन की राय भी है? इस सवाल का जवाब वर्ष 2019 के आम चुनाव में मिलेगा जब लोग- अच्छे दिन वाले या अच्छे दिल वाले प्रधानमंत्री, में से फैसला करेंगे? 
हालांकि, कुलकर्णी पहले भी राहुल की प्रशंसा कर चुके हैं, कुछ समय पहले उन्होंने ट्वीट किया था कि... राहुल गांधी सुसंस्कृत और सुसंस्कारी हैं. अगर वह 2019 में पीएम नहीं बन पाते हैं तो 2024 में जरूर बनेंगे. लोग देश के प्रमुख मुद्दों पर राहुल के नजरिए को जानना चाहते हैं. जिस तरह भाजपा कांग्रेस मुक्त भारत चाहती है, राहुल भाजपा मुक्त भारत नहीं चाहते हैं.
उधर, कभी राहुल गांधी को लेकर अलग नजरिया रखने वाली दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का कहना था कि... विपक्षी गठबंधन यदि 2019 के आम चुनाव में भाजपा को एक मजबूत चुनौती पेश करना चाहता है, तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को इस तरह के किसी गठजोड़ का स्वभाविक नेता होना चाहिए. 
दिल्ली की तीन बार सीएम रहीं शीला का कहना था कि पीएम मोदी सरकार के तहत देश एकजुट बने रहने की गंभीर चुनौती का सामना कर रहा है? अपने-अपने मतभेदों को छोड़ कर सभी विपक्षी दलों को अवश्य ही एकजुट होना चाहिए, ताकि मौजूदा शासन को सत्ता से उखाड़ फेंका जा सके.
राहुल गांधी को लेकर उनका कहना था कि... देखिए वे कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे हैं. जो पार्टी का नेतृत्व करते हैं उन्हें स्वत: ही हर चीज के लिए चुना जाता है. वह हमारी पार्टी के नेता हैं और यदि कांग्रेस विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करेगी तो राहुल गांधी स्वत: ही इसके नेता होंगे?
शीला दीक्षित का मानना था कि... राहुल एक सक्षम नेता के तौर पर उभरे हैं और ऐसा कोई कारण नहीं है कि उन्हें विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व नहीं करना चाहिए? कांग्रेस में सोनिया गांधी की भूमिका के सवाल पर उन्होंने कहा कि... वे पार्टी की दिशा-निर्देशक बनी हुई हैं और बनी रहेंगी, उन्होंने कहा कि... सोनिया गांधी दो दशक से अधिक समय से पार्टी की नेता हैं. वे किसी अन्य की तुलना में पार्टी को कहीं अधिक जानती हैं और मुझे नहीं लगता कि वे जिम्मेदारियां नहीं निभाएंगी.
बदले राजनीतिक नजरियों का भावार्थ यही है कि... गुजरात चुनाव के बाद से राहुल गांधी की इमेज में लगातार सकारात्मक सुधार हुआ है? यदि वे इन सकारात्मक धारणाओं को बनाए रखने में कामयाब रहते हैं तो 2019 का आम चुनाव उनके लिए सियासी सफलता का संदेश लेकर आएगा.
 

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