देश बदलने का दावा था, ड्रेस बदलते रह गए! प्रधानमंत्री या परिधानमंत्री?
पीएम नरेंद्र मोदी का देश बदलने का दावा था, लेकिन इतने वर्षों में वे केवल ड्रेस बदलते ही रह गए! इसीलिए सबसे बड़ा सवाल यही है कि- वे प्रधानमंत्री या परिधानमंत्री?
यकीनन, प्रधानमंत्री पद पर रहे नेता जब कहीं जाते हैं, तो स्थानीय परंपराओं के अनुरूप उनका स्वागत तो होता ही है, कई बार उन्हें स्थानीय ड्रेस भी भेंट की जाती हैं, लिहाजा पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी आदि की भी कुछ तस्वीरें ऐसी ड्रेस में हो सकती हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो पद की सारी मर्यादाएं ही छोड़ दी हैं और यही वजह है कि पीएम मोदी की जो हीरो इमेज 2014 में थी और जो आज है? उसमें जमीन-आसमान का अंतर है!
ड्रेस ही नहीं, उनकी अति-नाटकीयता, रोना-धोना आदि अब संवेदना नहीं जगाते, हास्य पैदा करते हैं?
लगता है, जैसे वे किसी फिल्म में काम कर रहे हैं!
उनके भाषण टेलीप्रॉम्प्टर, उनका फोकस फोटोग्राफी, उनका लिखना हवा-हवाई और जाने क्या-क्या?
इसी नाटकबाजी के मद्देनजर प्रमुख एडवोकेट प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया- यह स्वीकार करना होगा, फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में उनका कोई समकक्ष नहीं है!
इधर, चुनावी हंगामे के बीच एक खबर दब के रह गई कि- पीएम मोदी के फौजी वर्दी पहनने पर प्रयागराज की कोर्ट ने पीएमओ को भेजा नोटिस, अब 2 मार्च को होगी सुनवाई!
खबर यह है कि- प्रयागराज (पहले- इलाहाबाद) की जिला अदालत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दाखिल निगरानी याचिका पर प्रधानमंत्री कार्यालय को नोटिस जारी किया है और इस मामले की सुनवाई 2 मार्च को होगी.
जिला जज नलिन कुमार श्रीवास्तव ने अधिवक्ता राकेश नाथ पांडेय की ओर से प्रस्तुत निगरानी याचिका पर एडवोकेट की बहस को सुनने के बाद यह आदेश दिया.
खबरों की मानें तो- प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ राकेश नाथ पांडेय ने धारा 153 (3) में प्रार्थना-पत्र पेश करके प्रधानमंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी किए जाने का अनुरोध किया था.
यह मामला कश्मीर के नौशेरा में पीएम मोदी द्वारा सेना की वर्दी पहनने का है, जिसमें आरोप लगाया था कि 4 नवंबर, 2021 को जम्मू-कश्मीर के नौशेरा में प्रधानमंत्री ने भारतीय सेना की वर्दी पहनी थी, जो धारा 140 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दंडनीय अपराध है, इसलिए पीएम के खिलाफ केस लिखा जाना चाहिए.