पीएम नरेन्द्र मोदी अच्छे नेता हैं, अच्छा भाषण देते हैं, लेकिन यदि समय पर जरूरी एक्शन नहीं ले पाएं हैं, तो इन गुणों का कोई फायदा नहीं है?
यह कहने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए कि कोरोना मामले में केन्द्र सरकार की ओर से लापरवाही बरती गई जिसके नतीजे में आज देश न केवल कोरोना बीमारी से सुरक्षा के लिए लड़ रहा है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी लगातार बीमार होती जा रही है.
अक्सर दावे तो पाकिस्तान से भी अपराधियों को पकड़ लाने के रहे हैं, लेकिन देश में ही कोरोना फैलाने वालों को इतने दिनों तक नहीं तलाश पाने की नाकामयाबी को क्या कहा जाए?
बीजेपी में ही कई नेताओं ने समय-समय पर ऐसे संकट के समय में जरूरी एक्शन लिए हैं. यही वजह है कि यह महसूस किया जाने लगा है कि देश को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जैसे नेतृत्व की जरूरत है!
हो सकता है सीएम योगी की राजनीतिक विचारधारा से कई लोग असहमत हों, लेकिन विभिन्न संकट के समय उनकी कार्यशैली दिखावटी नहीं, वास्तविक रही है? उनके निर्णयों में प्रवचन कम, परिणाम ज्यादा रहा है!
यही नहीं, केन्द्रीय मंत्री डाॅ. हर्षवर्धन ने भी कोरोना वायरस अटैक के दौरान न केवल हालात पर नजर रखते हुए कई बेहतर निर्णय लिए हैं, बल्कि जमीनी जरूरतों पर भी लगातार ध्यान देते रहे हैं?
गृहमंत्री अमित शाह तो किसी भी संकट के समय बगैर समय गंवाए एक्शन लेते रहे हैं, मतलब.... समय पर आवश्यक कदम उठाना उनकी विशेषता है!
यह तय है कि मार्च के पहले सप्ताह में भी यदि कोरोना संकट के मद्देनजर लाॅक डाउन जैसे निर्णय ले लिए गए होते, तो आज देश बेहतर स्थिति में होता?
खबर है कि.... प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार सुबह दस बजे लाॅक डाउन के मुद्दे पर देश को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय के ट्विटर अकाउंट से इस संबंध में जानकारी दी गई है. यह चौथी बार होगा जब पीएम मोदी कोरोना वायरस के संबंध में देश से सीधे संवाद करेंगे. इससे पहले उन्होंने जनता कर्फ्यू, 21 दिनों के लॉक डाउन और फिर दीया जलाने की अपील के समय राष्ट्र को संबोधित किया था!
पहले तीन बार के उनके संबोधन केवल प्रेरित करने वाले रहे हैं, इनमें ठोस राहत का तो अभाव ही रहा है. वैसे तो पीएम मोदी दूसरों की सलाह कम ही सुनते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने बड़े धैर्य के साथ देश के मुख्यमंत्रियों को सुना है. उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बार केवल प्रेरक भाषण नहीं होगा, बल्कि जनता को राहत मिल सके ऐसे ठोस निर्णय भी होंगे?