लोकसभा चुनाव 2019 करीब आ रहे हैं और इसके साथ ही कई मुद्दे भी गर्मा रहे हैं. कई चुनावों की तरह इस बार भी राम मंदिर निर्माण का मुद्दा प्रमुख है, लेकिन इस बार बीजेपी इस मुद्दे पर आक्रामक रूख नहीं दिखा पा रही है और न ही शिवसेना की तरह साफ-साफ बोल भी पा रही है?
जहां शिवसेना हर हाल में राम मंदिर के समर्थन में खड़ी है, वहीं बीजेपी इससे दूरी बना कर खड़ी है. इस वजह से बीजेपी के लिए परेशानियां बढ़ती जा रही है. जहां शिवसेना का स्वाभिमान के साथ असली हिन्दूत्व वाला चेहरा नजर आ रहा है, वहीं बीजेपी के हिन्दूत्व का सियासी चेहरा उभर रहा है!
बीजेपी के इस रूख पर रामभक्त साधु-संत खासे नाराज हैं, हालांकि बीजेपी से जुड़े संगठन इस मुद्दे पर बीजेपी को बचाने की कोशिश तो कर रहे हैं, परन्तु सबको संतुष्ट करना आसान नहीं है, क्योंकि केन्द्र में पीएम मोदी की सरकार है तो यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार है, बावजूद इसके, बीजेपी के लिए सत्ता पहली प्राथमिकता बनती जा रही है, जबकि रामभक्तों का मानना है कि यदि राम मंदिर पर ध्यान नहीं दिया तो इस बार सत्ता तो मिलेगी नहीं, यह आखिरी मौका भी बीजेपी के हाथ से निकल जाएगा.
खबर है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर विश्व हिंदू परिषद ने बड़ा फैसला लिया है. विहिप ने राम मंदिर निर्माण अभियान को चार महीने तक के लिए रोक दिया है, अर्थात... लोकसभा चुनाव 2019 के संपन्न होने तक विहिप राम मंदिर मुद्दे पर किसी तरह का कोई अभियान नहीं चलाएगी, जबकि कुंभ में धर्मसभा की बैठक में साधु-संतों ने प्रस्ताव पास कर कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण तक वो चैन से नहीं बैठेंगे!
इधर, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा 21 फरवरी को अयोध्या में शिलान्यास की घोषणा के बाद उनके शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद अयोध्या पहुंचे. यहां पर उन्होंने कहा कि 21 फरवरी को चार शिलाओं को स्थापित किया जाएगा ताकि आगे का निर्माण कार्य शुरू हो सके.
बहरहाल, 2019 के चुनाव में क्योंकि राम मंदिर निर्माण का मुद्दा बीजेपी को नुकसान देगा, इसलिए अब इससे दूरी बनाने की कोशिश की जा रही है और देरी के लिए कांग्रेस के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं.
लेकिन, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राम मंदिर निर्माण को लेकर शिवसेना का नजरिया एकदम उसकी वास्तविक छवि के अनुरूप है, जबकि बीजेपी सत्ता के लिए इस मुद्दे पर अपना असली चेहरा छुपा रही है. इससे बीजेपी की छवि तो खराब हो ही रही है, उसे लोकसभा चुनाव में भी फायदा नहीं होगा!