विनाश का नहीं, विकास का इतिहास पढ़ाने की जरूरत!
विश्व में मानव समाज की शुरुआत से लेकर अब तक केवल तीन ही जातियां हैं- योगी, भोगी और रोगी?
हर धर्म, हर देश में ये तीनों जातियां मौजूद हैं!
योगी.... जिन्होंने मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए आविष्कार किए, योगदान दिया.
भोगी.... जिन्होंने इन आविष्कार का सदुपयोग किया.
रोगी.... जिन्होंने इन आविष्कार का दुरुपयोग किया.
जिन्होंने दो पत्थर टकरा कर आग पैदा की, वे योगी थे, जो इस आग के सदुपयोग से रोटी बना रहे हैं, वे भोगी हैं, और.... जो इंसान से इंसान को टकरा कर हिंसा की आग लगा रहे हैं, वे रोगी हैं.
जिन्होंने चाकू बनाया, वे योगी थे, जो चाकू के सदुपयोग से फल-सब्जी काटते रहे, वे भोगी हैं, और.... जो चाकू से हत्याएं करते हैं, वे रोगी हैं.
जिन्होंने धर्म मार्ग दिखाया, वे योगी थे, जो धर्म का सदुपयोग करते हैं, वे भोगी हैं, और.... जिन्होंने धर्म को धंधा बना दिया है, वे रोगी हैं.
जिन्होंने ज्योतिष का ज्ञान दिया, वे योगी थे, जो मानव जीवन संवारने में ज्योतिष ज्ञान का सदुपयोग करते हैं, वे भोगी हैं, और.... जो ज्योतिष के जरिए डरा रहे हैं, लालच दे रहे हैं, वे रोगी हैं.
जिन्होंने फिल्मांकन की तकनीक दी, वे योगी थे, जिन्होंने इस तकनीक का सदुपयोग किया वे भोगी हैं, और.... जो फिल्मांकन की तकनीक का अमर्यादित दुरुपयोग कर रहे हैं, वे रोगी हैं.
जिन्होंने देश को आजादी दिलाई वे योगी हैं, जिन्होंने सत्ता का सदुपयोग किया, जनहित के कार्य किए, वे भोगी हैं और.... जिन्होंने प्रजातंत्र का दुरुपयोग किया, तानाशाह बन गए वे रोगी हैं, असाध्य रोगी.
बच्चों को जो इतिहास पढ़ाया जा रहा है, वह ज्यादातर हिटलर जैसे युद्ध अपराधियों का इतिहास है, राजाओं की लड़ाइयों का इतिहास है, विनाश का इतिहास है, हिंसा का इतिहास है, इनसे बच्चे क्या प्रेरणा लेंगे.
जबकि विकास का इतिहास पढ़ाया जाना चाहिए, कैसे पहिए का आविष्कार हुआ, कैसे साइकिल बनी, कैसे मोटरसाइकिल बनी, कैसे कार बनी, कैसे रेल बनी, कैसे हवाई जहाज बना?
आज विनाश की हिंसक तस्वीर दिखानेवाले हिटलर को तो सब जानते हैं, लेकिन पहिए से लेकर हवाई जहाज तक के आविष्कार करनेवाले वैज्ञानिकों का इतिहास कितने लोग जानते हैं?
मानव जीवन को बेहतर बनाने में योगदान देनेवाले हर क्षेत्र में लगातार आविष्कार हो रहे हैं, लेकिन इन योगियों का इतिहास कहां है, इतिहास है, तो थोड़ा भोगियों का और बहुत सारा रोगियों का!