पहले इंसान सारे कार्य स्वयं करता था, उसमें लंबा वक्त लगता था, इसके बाद पहला बड़ा बदलाव आया, जब मशीनें आईं, कई इंसानों का काम एक मशीन करने लगी.
लेकिन, तब दुनिया बहुत बड़ी थी, चिट्ठी, टेलीफोन का जमाना था, दूसरा बड़ा बदलाव इंटरनेट लाया, दुरियां खत्म हुई, दुनिया छोटी होकर जेब में समा गई.
अब तीसरा और बहुत बड़ा बदलाव लेकर एआई आया है.
एआई बहुत कुछ कर सकता है, लेकिन सबकुछ नहीं कर सकता है, इसलिए इस एआई युग में यह जानना जरूरी है कि क्या एआई कर सकता है और क्या नहीं कर सकता है.
जाहिर है, यदि यह जान लिया जाए कि कौनसा काम एआई कर सकता है, तो उस क्षेत्र मेहनत करने की जरूरत नहीं है, जो काम एआई के लिए संभव नहीं है, उस क्षेत्र में फोकस होने की जरूरत है, मतलब.... एआई आपकी नहीं, आप एआई की सवारी करो.
जब इंसान साइकिल पर चलता था, तो मेहनत ज्यादा थी और धीमी चाल के कारण समय भी ज्यादा लगता था, मोटर-गाड़ी आई तो इंसान ड्राइवर बन गया और इस तरह मशीन की सवारी करके जीत गया.
जब इंटरनेट आया, तो चिट्ठी-पत्री पहुंचानेवाले का काम खत्म हो गया, इंसान ऑपरेटर बन कर इंटरनेट पर सवार हो गया.
एआई ने बहुत सारे काम आसान कर दिए हैं, एआई बहुत अच्छा विज्ञापन बना सकता है, लेकिन किसका विज्ञापन और कैसा विज्ञापन बनाना है, यह तो इंसान ही बताएगा.
किसी खबर को एडिट करने का काम एआई कर सकता है, लेकिन कौनसी खबर जानी चाहिए और कौनसी नहीं, यह तो संपादक ही तय करेगा.
एआई किसी विचार को बहुत अच्छे तरीके से पेश कर सकता है, लेकिन उसमें संशोधन तो लेखक ही कर सकता है!
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