लोकसभा चुनाव आ रहे हैं और जहां तीन प्रमुख राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की हार से घबराई बीजेपी की पीएम मोदी सरकार केन्द्र में सत्ता बचाने के लिए में लगातार चाकलेटी वादे कर रही है, वहीं इन तीन राज्यों में जीत से उत्साहित कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी केन्द्र की सत्ता मिलने पर मीठे इरादों का इजहार कर रहे हैं, आश्चर्यचकित जनता खामोश है तो सियासी जानकार लोस चुनाव का समीकरण सुलझाने में व्यस्त हैं!
एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के मुद्दे पर विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग की ओर से तगड़ा झटका मिलने के बाद अब पीएम मोदी टीम ने इस वर्ग को मनाने के लिए सरकारी नौकरियों में सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण देना का ऐलान कर दिया है.
वैसे तो बीजेपी को मुस्लिम वोट मिलना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन तीन तलाक विधेयक के दम पर केन्द्र की मोदी सरकार कुछ चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठी है, शायद मुस्लिम महिलाओं के वोट मिल जाएं?
हालांकि, बीजेपी के इस सियासी नजरिए को कांग्रेस सहित तमाम क्षेत्रीय दल समझ रहे हैं, इसलिए किन्तु-परन्तु के साथ इसके विरोध में हैं.
राहुल गांधी के वादे कि- प्रादेशिक सरकारें बनी तो दस दिनों में किसानों का कर्जा माफ कर देंगे, ने भी रंग दिखाया और जनता ने तीन राज्यों से बीजेपी को विदा कर दिया. अब पीएम मोदी ने इसके जवाब में बजट में यह ऐलान किया कि दो हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसानों को सालाना 6 हजार रुपये दिए जाएंगे.
इधर, पीएम मोदी के वादों के जवाब में राहुल गांधी ने भी अपने मीठे इरादे जग जाहिर कर दिए हैं. सबसे पहले आधे मतदाताओं को लुभाने के लिए महिला आरक्षण का वादा किया है, कि- कांग्रेस सत्ता में आई तो महिला आरक्षण विधेयक वरीयता के आधार पर पार्टी पारित करेगी, जिसमें लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करना है.
किसानों की कर्जामाफी को राहुल देशव्यापी आधार देने वाले हैं और सबूत के तौर पर एमपी, राजस्थान ओर छत्तीसगढ़ के उदाहरण साथ ले कर चल रहे हैं.
बेरोजगारी के दौर में राहुल गांधी ने न्यूनतम आमदनी की गारंटी का सपना भी दिखाया है. राहुल गांधी का कहना था कि- 2019 में कांग्रेस पार्टी की सरकार देश में हर नागरिक को न्यूनतम आमदनी की गारंटी देगी, अर्थात- देश के हर गरीब व्यक्ति के बैंक अकाउंट में कांग्रेस सरकार, यदि बनी तो, न्यूनतम आमदनी देने जा रही है.
सियासी संकेत यही हैं कि पीएम मोदी और राहुल गांधी, दोनों नेता मतदाताओं को मनाने की पूरी ताकत लगा रहे हैं और इसके लिए जहां मोदी के पास चाकलेटी वादे हैं, वहीं राहुल गांधी के पास मीठे इरादे हैं. देखना दिलचस्प होगा कि जनता वादों पर भरोसा करती है या फिर इरादों पर विश्वास जताती है!