सत्ता से बाहर रहें या सत्ता में, बिहार की राजनीतिक समीकरण में दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव केन्द्र में रहते आए हैं और यही वजह है कि इस राजनीतिक सुरक्षा घेरे में उनके बेटे आगे बढ़ते जा रहे हैं, किन्तु... इस वक्त हालात बदले हुए हैं... लालू जेल में हैं और राजनीतिक दांवपेच पर निर्भर राज्यसभा के चुनाव होने को हैं, मतलब... लालू के बेटों की यह पहली परीक्षा होगी कि वे किस तरह से अपने और अपनी पार्टी समर्थक एमएलए को जोड़े रखते हुए अधिकतम जीत हांसिल करते हैं.
खबरें हैं कि... बिहार कोटे से होने वाला राज्यसभा की सात सीटों के लिए चुनाव जहां एक ओर सत्ता पक्ष के लिए महत्वपूर्ण है वहीं दूसरी ओर लालू प्रसाद यादव की पार्टी और उनके बेटों राजनीतिक क्षमता परखने के नजरिए से भी खास है.
इस वक्त... चारा घोटाले में सजा के बाद लालू जेल में हैं और उनकी गैरमौजूदगी में राज्यसभा की परीक्षा उनकी पार्टी को पास करनी है, इसीलिए... सभी नजरें इस पर हैं कि क्या तेजस्वी और तेजप्रताप, लालू के लक्ष्य साध पाएंगे?
याद रहे, राज्यसभा चुनाव में कोई भी दल अपने विधायकों के लिए ह्विप नहीं जारी कर सकता है.
बिहार की राजनीतिक समीकरण पर नजर डालें तो... एमएलए मुंद्रिका यादव के निधन के बाद राजद की सीटें अब 79 हो हैं तो कांग्रेस के 27 विधायक हैं, अर्थात... दोनों दलों के पास 106 एमएलए हैं... 243 सदस्यीय विधानसभा में एक राज्यसभा सीट के लिए 35 एमएलए की जरूरत होती है, इस लिहाज से देखा जाए तो राजद-कांग्रेस संयुक्त खाते में तीन सीटें जा सकती हैं.
उधर, सत्तारुढ़ जेडीयू-भाजपा गठबंधन के सदस्यों के रिटायर होने की वजह से सीटें खाली हो रही हैं... भाजपा एमएलए आनंदभूषण पांडेय के निधन के बाद अब बिहार विधानसभा में एमएलए की संख्या 52 हो गई है... राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयुक्त पाले में इस समय 128 एमएलए हैं, यदि... एक सीट के लिए 35 एमएलए की गणित देखें तो एनडीए को भी तीन सीटें मिलनी तय माना जा रहा है, जबकि इस समय में भाजपा के पांच और जेडीयू के दो राज्यसभा सदस्य हैं, जिनका कार्यकाल अप्रैल के पहले सप्ताह में समाप्त हो रहा है.
राजनीतिक जानकारों की माने तो असली मुद्दा शरद यादव वाली सीट का है... इस सीट के लिए चुनाव होगा, इसलिए यदि... राजद-कांग्रेस गठबंधन में कुछ एमएलए पाला बदलते हैं तो राजद के लिए मुश्किल होगी?
लालू प्रसाद यादव की गैरमौजूदगी में उनके दोनों बेटे- तेजस्वी और तेजप्रताप, अपने एमएलए पर कितना नियंत्रण रख पाते हैं? यही नहीं... विरोधी पाले से कितना समर्थन जुटा पाते हैं? इसी पर हार-जीत का नतीजा निर्भर है.
क्योंकि... राज्यसभा चुनाव में कोई भी दल अपने विधायकों के लिए ह्विप नहीं जारी कर सकता है इसलिए... इस चुनाव का राजनीतिक भविष्य के लिहाज से खासा महत्व है.
वैसे, यह केवल कुछ सीटों की हार-जीत की लड़ाई नहीं है, बल्कि... राज्यसभा में शक्ति परीक्षण के लिहाज से भी खास है... भाजपा के लिए यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि लोकसभा में बहुमत से आगे बढ़ जानेवाली भाजपा राज्यसभा में शक्ति प्रदर्शन में कमजोर पड़ जाती है... यदि गैरभाजपाइयों की राज्य सभा में सीटे कम होती हैं तो राज्यसभा में विपक्ष कमजोर पडऩे लगेगा.
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि... लालू प्रसाद के बेटे सत्ता से बाहर तो हैं ही, कई मामलों में उलझे हुए भी हैं, हालांकि... सरकार से बाहर होने के बाद भी तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार सरकार पर जोरदार तरीके से हमला कर रहे थे, किन्तु इस वक्त... चारा घोटाले में सजा के बाद न केवल उनके पिता लालू जेल में हैं बल्कि उनका पूरा परिवार ही विभिन्न कानूनी लड़ाइयों में उलझा हुआ है, जाहिर है... राजनीतिक परिस्थितियां इस समय उनके अनुकुल नहीं हैं, ऐसी स्थिति में यदि वे अपने राज्यसभा चुनाव की परीक्षा पास कर लेते हैं तो बहुत बड़ी उपलब्धि होगी.
राज्यसभा चुनाव में सत्ता पक्ष के लिए राजनीतिक स्थितियां अनुकुल मानी जाती हैं, इसलिए... भाजपा इस अवसर का लाभ उठाने की कोशिश करेगी, ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि... क्या लालू के बेटे अपनी राजनीतिक शक्ति बचा पाएंगे?