तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के गुजर जाने के बाद से प्रदेश में एआईएडीएमके के विभिन्न पक्षों में सत्ता संघर्ष जारी है. वैसे तो जयललिता की सबसे करीब रही शशिकला सत्ता की सबसे प्रबल दावेदार थी, लेकिन ऐन मौके पर कोर्ट के एक फैसले के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा और सत्ता उनके हाथ से निकल गई. इस वक्त तमिलनाडु में एआईएडीएमके की राजनीति शशिकला पक्ष के टीटीवी दिनाकरन, सीएम पलानीसामी और पूर्व मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम के इर्दगिर्द है?
खबर है कि... मद्रास हाई कोर्ट ने 18 एमएलए की सदस्यता रद्द किए जाने के मामले में निर्णय दे दिया है, इस मामले में हाई कोर्ट की दो जजों की बेंच ने विभाजित फैसला सुनाया है जिसके तहत हाई कोर्ट चीफ जस्टिस ने जहां स्पीकर द्वारा विधायकों की सदस्यता रद्द करने के फैसले को बहाल रखा, वहीं दूसरे जस्टिस ने विधायकों की सदस्यता रद्द करने के विरूद्ध फैसला सुनाया, जाहिर है इस फैसले से पलनीसामी सरकार को अभी राहत मिल गई है.
आगे निर्णायक फैसला तीन जजों की बेंच करेगी. यदि अदालत ने एमएलए की सदस्यता रद्द करने के फैसले को खारिज कर दिया होता तो पलनीसामी सरकार को फ्लोर टेस्ट से गुजरना पड़ता, जिसमें उसके गिरने की आशंका थी?
वर्ष 2017 में स्पीकर ने दलबदल कानून के तहत इन एमएलए की सदस्यता रद्द की थी. अयोग्य करार दिए गए 18 एमएलए अन्नाद्रमुक से अलग चल रहे टीटीवी दिनाकरन पक्ष के हैं और इन एमएलए ने मुख्यमंत्री पलानीसामी के बहुमत परीक्षण से पहले बगावत की थी.
अब हाईकोर्ट के विभाजित आदेश के बाद एमएलए की अयोग्यता के मामले पर बड़ी बेंच सुनवाई करेगी, लेकिन फिलहाल सभी 18 एमएलए विधानसभा सत्र में शामिल नहीं हो पा रहे हैं.
यही नहीं, कोर्ट ने इस मामले में अंतिम फैसला आने तक इन 18 सीटों पर उपचुनाव कराने या विधानसभा में विश्वासमत परीक्षण कराने पर भी रोक लगाई है.
हाईकोर्ट के फैसले से सीएम पलानीसामी को राहत मिली है जिनके पास एआईएडीएमके के 117 एमएलए का समर्थन है, क्योंकि निर्दलीय एमएलए बनने पर दिनाकरन ने कहा था कि वे अपने समर्थक 18 विधायकों के साथ विपक्ष (99 एमएलए) के साथ जाने को तैयार हैं? ऐसी स्थिति में मौजूदा सरकार के गिरने का खतरा था. तमिलनाडु विधानसभा में कुल 235 सीटें हैं जिनमें एक मनोनीय सदस्य भी शामिल है, मतलब... बहुमत के लिए 117 से ज्यादा एमएलए का समर्थन चाहिए?
याद रहे, तमिलनाडु विधानसभा में विश्वासमत से पहले 22 अगस्त, 2017 को दिनाकरन पक्ष के 19 एमएलए राज्यपाल से मिले थे और उन्होंने सरकार से समर्थन वापस लेने की बात कही थी? हालांकि, इनमें से एसकेटी जक्कैयां बाद में पलानीसामी खेमे में लौट आए थे. अयोग्य ठहराए गए सभी एमएलए शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनाकरन पक्ष के हैं.
सियासी संकेत यही हैं कि पूर्व सीएम जयललिता का एआईएडीएमके का वोट बैंक बिखर गया है लिहाजा अगले चुनावों में एआईएडीएमके के लिए फिर से सत्ता पाना बेहद मुश्किल होगा, हालांकि तमिलनाडु के राजनीतिक माहौल में बदलाव पर केन्द्रीय भाजपा लगातार नजर रखे है क्योंकि अगले आम चुनाव 2019 में एआईएडीएमके के सहारे ही भाजपा को तमिलनाडु में कामयाबी मिल सकती है?