गैरभाजपाइयों की चुनौती वास्तविक. लाभ की गणित काल्पनिक?

कर्नाटक प्रकरण ने विपक्षी एकता की राह दिखा दी है और ज्यादातर गैरभाजपाई नेता उस राह पर चल भी पड़े हैं, लेकिन... इस राह पर चल कर मंजिल हासिल करने के मामले में अभी भी कईं किन्तु-परन्तु हैं.
अलबत्ता... गैरभाजपाइयों ने 2019 में मोदी के विजय रथ को रोकने का तरीका तलाश लिया है, जिसके जरिए देश के 13 राज्यों में 15 दल मिलकर सवा चार सौ से ज्यादा लोकसभा सीटों पर भाजपा की जीत खटाई में डाल देंगे? इस गैरभाजपाई चक्रव्यूह को रचना आसान नहीं है, लेकिन यदि बन गया तो भाजपा के लिए चक्रव्यूह तोडऩा बेहद मुश्किल होगा?
कर्नाटक चुनाव नतीजों के बाद भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी और अपने कामयाब जोड़तोड़ के इतिहास के भरोसे 21वें राज्य के रूप में भाजपा ने यहां विजय पताका फहराना चाही, परन्तु... इस बार कानूनी पेंच फंस गया, परिणाम? भाजपा को अपने कदम पीछे हटाने पड़े और विपक्ष का हौंसला बुलंद हो गया.
अब विपक्ष 2019 के लिए मिली इस संजीवनी के दम पर गैरभाजपाई महागठबंधन में नई जान फुंकने की कोशिश कर रहा है... कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्ष के लगभग सभी दल एकजुट नजर आए, मतलब... चारों दिशाओं से भाजपा के लिए चुनौतियों के संयुक्त स्वर बुलंद हो रहे हैं? यहां तक कि... कभी आपस में विरोधी रहे... बसपा नेता मायावती और सपा के प्रमुख अखिलेश यादव... टीएमसी की ममता बनर्जी और लेफ्ट नेता... कांग्रेस नेता और अरविंद केजरीवाल भी एक मंच पर नजर आए!
यकीनन् भाजपा के लिए विपक्षी एकता बड़ी चुनौती 
है, क्योंकि... 2014 में जब नरेंद्र भाई मोदी जबरदस्त बहुमत के साथ देश की सत्ता पर काबिज हुए तो इसमें यूपी में मिली प्रचंड जीत का बहुत बड़ा योगदान था? सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले इस प्रदेश में विपक्षी एकता 2019 में भाजपा के सपनों के सियासी महल को ढहा सकती है? भाजपा हजारों तर्क दे, लेकिन यदि यूपी में सपा, बसपा ओर कांग्रेस एक मंच पर आ गए तो 2014 के मुकाबले एक चोथाई सीटें भी हासिल करना भाजपा के लिए मुश्किल हो जाएगा.
जहां पश्चिम बंगाल में भाजपा की ताकत बढ़ी है वहीं बिहार में नीतीश कुमार के साथ आने से भाजपा पहले के सापेक्ष बेहतर स्थिति में है, लेकिन... 2019 तक पश्चिम बंगाल में दूसरे नंबर से पहले नंबर तक पहुंचना भाजपा के लिए मुश्किल है वहीं, बिहार में कांग्रेस-आरजेडी मिलकर चुनाव लड़े तो एनडीए को कड़ी टक्कर दे सकते हैं, अर्थात... संयुक्त विपक्ष 2019 में भाजपा को 2014 की कामयाबी दोहराने नहीं देगा?
उधर, ओडिशा में हुए पंचायत चुनावों में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन ने सीएम नवीन पटनायक के लिए परेशानियां खड़ी कर दी हैं, जाहिर है... कमजोर होते नवीन पटनायक, कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं. यही नहीं, कुछ समय पहले एनडीए से अलग हो चुकी टीडीपी भी कांग्रेस के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ सकती है?
उधर, दक्षिणी भारत में कर्नाटक की कामयाबी के बाद जहां तमिलनाडु में कांग्रेस और डीएमके के साथ की संभावना बढ़ गई है, वहीं महाराष्ट्र में भी कांग्रेस को नए साथी मिल सकते हैं.उपर से महाराष्ट्र में हर मौके पर भाजपा पर निशाना साधती शिवसेना लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा की सियासी समीकरण बिगाड़ेगी?
झारखंड में तो भाजपा के खिलाफ  कांग्रेस और जेएमएम पहले ही साथ आ चुके हैं तो हरियाणा में आईएनएलडी और बसपा को कांग्रेस का भी साथ मिल सकता है? उधर... जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन के समक्ष नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस बड़ी चुनौती बन सकते हैं!
सियासी सारांश यही है कि... गैरभाजपाई एकता भाजपा के लिए लगातार बड़ी चुनौती बनती जा रही है यह सैद्धान्तिक सच्चाई है, परन्तु इससे भाजपा की गणित कितनी गड़बड़ाएगी? यह अनुमान अभी काल्पनिक है, क्योंकि 2019 तक सीटों के बंटवारे को लेकर गैरभाजपाइयों में कितनी प्रायोगिक सहमति बनती है, यह भविष्य के गर्भ में है.

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