में 2014 की राजनीतिक तस्वीर बदल चुकी है... सीएम नीतीश कुमार भाजपा के पाले में हैं तो शरद यादव गैरभाजपाई महागठबंधन की ओर हैं... लालू प्रसाद जेल में हैं तो कांग्रेस अपने अंतरर्विरोधों से जुझ रही है. ऐसे में... यदि राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और शरद यादव ने राजनीतिक समझदारी से काम नहीं लिया तो नीतीश कुमार और भाजपा का बिहार मार्ग आसान हो जाएगा?
हालांकि... बिहार में उपचुनाव से पहले आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर खासी राजनीतिक रस्साकशी थी, परन्तु... अब आरजेडी और कांग्रेस का कहना है कि बिहार में आगामी उपचुनावों को संयुक्त रूप से लडऩे के लिए एक फार्मूले को अंतिम रूप दिया है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने प्रेस से कहा कि... राष्ट्रीय जनता दल अररिया लोकसभा और जहानाबाद विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवार उतारेगा तो कांग्रेस भभुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेगी.
खैर, यह तो हुई इन चुनावों की बात, लेकिन... यदि लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने त्याग का रास्ता नहीं अपनाया तो बिहार की राजनीति में गैरभाजपाइयों के लिए कामयाबी हांसिल करना मुश्किल हो जाएगा.
उल्लेखनीय है कि... इन सीटों के प्रतिनिधियों के निधन के कारण उपचुनाव अनिवार्य हो गया था... उपचुनाव 11 मार्च 2018 को होंगे... अररिया और जहानाबाद सीटों पर जहां आरजेडी का कब्जा था, वहीं भभुआ सीट भाजपा के पास थी. गत वर्ष जुलाई 2017 में महागठबंधन टूटने के बाद यह उपचुनाव बिहार में बड़ा राजनीतिक शक्ति परीक्षण होगा? क्योंकि... महागठबंधन टूटने के बाद जेडीयू नेता और सीएम नीतीश कुमार ने बिहार में भाजपा के साथ मिलकर सरकार का गठन कर लिया था. नतीजा? आरजेडी और कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल के तौर पर ही रह गए.
वैसे खबरें हैं कि... तेजस्वी यादव और कादरी ने गैरभाजपाई गठबंधन में दरार के दावों से इंकार किया, और तेजस्वी ने प्रेस से कहा कि किसी भी चरण में हमारे गठबंधन में तनाव नहीं रहा, जबकि विपक्षी दलों ने इस तरह की अफवाह उड़ाईं... हम संयुक्त रूप से उपचुनाव लड़ेंगे और आरजेडी अररिया लोकसभा सीट और जहानाबाद विधानसभा सीट पर उम्मीदवार उतारेगी... कांग्रेस भभुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेगी.
कांग्रेस और आरजेडी नेताओं का कहना है कि... सभी सीटों पर प्रभावी जीत दर्ज करने के लिए कांग्रेस-आरजेडी आपसी सहयोग करेंगे.
ये उपचुनाव, एनडीए... जिसमें जेडीयू, भाजपा, रालोसपा, एचएएम आदि शामिल हैं, के लिए बड़ी चुनौती यों हैं कि... यदि इन सीटों पर गैरभाजपाइयों का कब्जा हो जाता है तो इससे गैरभाजपाई गठबंधन की मजबूती का रास्ता साफ हो जाएगा? और यदि... भाजपा सफल हो जाती है तो नीतीश कुमार से दोस्ती पर सही निर्णय की मुहर लग जाएगी.
इस सारे राजनीतिक घटनाचक्र में क्या बागी बिहारी बाबू शत्रुघ्र सिन्हा की कोई भूमिका या प्रभाव है? यदि राजनीतिक जानकारों की माने तो... फिलहाल नहीं. भाजपा में रहते शत्रुघ्न सिन्हा के लिए अवसर घटते जा रहे हैं तो भविष्य में भी किसी राजनीतिक लाभ की संभावना नजर नहीं आ रही है? यदि वे गैरभाजपाई महागठबंधन की ओर कदम बढ़ाते हैं तो ही उनके लिए नई संभावनाएं जन्म लेंगी.
लेकिन कैसे? वे स्वयं भाजपा छोड़ देते हैं तो अच्छा राजनीतिक संदेश नहीं जाएगा और भाजपा इसलिए नहीं निकालेगी कि... यदि ऐसा किया तो वे फिर से राजनीति के हीरो बन जाएंगे.
इस वक्त शत्रुघ्र सिन्हा के बेधड़क बयानों के कारण उनकी चर्चा तो जोरों पर है, परन्तु... राजनीतिक लोकप्रियता का ग्राफ धीरे-धीरे नीचे उतरता जा रहा है.
राजनीतिक सारांश यही है कि... बिहार उपचुनाव के नतीजे बताएंगे कि भाजपा के राजनीतिक इरादों और केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा लालू परिवार को राजनीतिक लक्ष्य बनाने के आरोपों पर जनता क्या सोचती है? और इसी से पता चलेगा कि... कितना भगवा रंग बिहार में भर पाएगा?